नरेंद्र मोदी स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ खेले जा रहे चौथे टेस्ट मैच के चौथे दिन विराट कोहली ने भले ही दोहरा शतक नहीं जमाया लेकिन उनकी इस पारी की तुलना 2004 में सचिन तेंदुलकर के दोहरे शतक से की जा सकती है. दरअसल, महानता अलग अलग स्वरुप में दिखती है और जो जीनियस होते हैं वो ही अपनी महानता का लोहा सिर्फ एक नहीं बल्कि अलग अलग अंदाज में मनवाने में कामयाब होते हैं. 200 टेस्ट खेलकर 51 शतक लगाने वाले तेंदुलकर अनूठे थे लेकिन उन्होंने भी अपने करियर में कई बार ये दिखाया कि महानता को भी नश्वरता के दौर से अक्सर गुजरना पड़ता है. और जब नश्वरता के दौर को संजीदगी से झेलते हुए आगे बढ़ने का जज्बा बरकरार रहे तो आपकी महानता हमेशा के लिए इतिहास में स्थायित्व का दर्जा हासिल कर लेती है. कोहली के इस शतक को उसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है.
सचिन तेंदुलकर ने सिडनी टेस्ट में अगर दोहरा शतक पूरा होने तक अगर अपना सबसे पंसदीदा शॉट कवर ड्राइव नहीं खेला तो अहमदाबाद में विराट कोहली ने चौथे दिन जब तक अपना शतक पूरा नहीं किया, खुद पर ऐसा ही नियंत्रण दिखाया. खुद को अनुशासित कैसे रखा जा सकता है, यह उसकी शानदार मिसाल थी. शतक लगाते ही कोहली ने गियर बदला और उस लय में लौटे जो वो अपने पराक्रम के दौर में अक्सर दिखाया करते थे. मलाल अगर रहा तो सिर्फ इस बात का कि श्रेयस अय्यर अनफिट होने के चलते बल्लेबाज़ी करने के लिए नहीं आये नहीं तो कोहली का भी इस मैदान पर एक दोहरा शतक होता और वो नॉट आउट भी रह सकते थे.
अगर आप ये सोचेंगे कि नॉट आउट की क्या अहमियत है तो कोहली को एक बड़ी पारी नॉट आउट भी खेलनी जरूरी तभी वो फिर से अपना टेस्ट औसत 50 के पार कर सकते हैं. 2016 में कोहली ने पहली बार अपने करियर में 50 का औसत को स्पर्श किया था और उसके बाद अगले चार साल तक वो 51 से 55 के बीच रहे. लेकिन, पिछले तीन सालों में टेस्ट क्रिकेट में बड़ी पारी नहीं खेलने के चलते कोहली का औसत 50 से नीचे चला गया है. कोहली जानते हैं कि अपने आदर्श तेंदुलकर की ही तरह अगर उनको अपनी महानता इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज करानी है तो इस लक्ष्य को भी हासिल करना जरूरी है क्योंकि तेंदुलकर के अलावा सिर्फ दो भारतीय बल्लेबाज़ी ने 50 से ऊपर का औसत रखते हुए टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा है. सुनील गावस्कर और राहुल द्रविड. इत्तफाक से दोनों पूर्व कप्तान 10 हजार के क्लब में भी शामिल हैं जो कोहली का अगला लक्ष्य होगा.
बहरहाल, मौजूदा समय में कई जानकारों को इस बात पर हैरानी हो रही है कि जिस खिलाड़ी को अपने पहले टेस्ट शतक के लिए भी इतना लंबा (13 पारियों में लग गया था पहला शतक) इंतजार नहीं करना पड़ा था, उसे 27 शतक बनाने के बाद 28वें तक पहुंचने में 42 पारियां निकल गईं. ऐसा नहीं था कि कोहली बेहद ख़राब दौर से गुज़र रहे थे लेकिन उनकी बल्लेबाज़ी में वो चिर-परिचित आक्रामकता और सुलझा हुआ स्ट्रोकप्ले कम दिख रहा था. जब पूरी दुनिया तीन साल से लगातार आपके अगले शतक का इंतज़ार कर रही हो तो भले ही आप विराट कोहली ही क्यों ना हो, दबाव आप पर भी दिखने लगता है. कोहली पिछले साल केपटाउन टेस्ट के दौरान शतक बनाने के नज़दीक जा रहे थे लेकिन आखिरकार हो नहीं पाया. अच्छी बात ये है कि अब कोहली के शतक को लेकर होने वाली चर्चा थम जायेगी और जब टीम इंडिया जून के पहले हफ्ते में ओवल में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के लिए ऑस्ट्रेलियाई टीम से भिड़ेगी तो कंगारुओं को अब और सजग रहना होगा. उन्हें अब ये एहसास है कि इस टीम एक बड़े मैच-विनर विराट कोहली फॉर्म में आ चुके हैं.
एक बात और जो शायद कोहली भविष्य में स्वीकार करेंगे. कप्तानी छोड़ने के बाद पहले कुछ महीनों तक वो खुलकर नहीं खेल पा रहे थे. शायद उन्हें इस बात का दर्द था कि जिस अंदाज में पूर्व कप्तान सौरव गांगुली की अध्यक्षता में उनसे कप्तानी लिये जाने का प्रकरण पूरी दुनिया के सामने आया, उससे भारतीय क्रिकेट बच सकती थी. कोहली ने एक कप्तान के तौर पर टेस्ट टीम की सोच में क्रांतिकारी बदलाव लाये जो शायद उनकी सबसे बड़ी विरासत भी साबित हो. लेकिन, अब कप्तानी छोड़ने के बाद कोहली को पता है कि अगले 3-4 साल उन्हें खुद को नये अंदाज़ में एक टेस्ट बल्लेबाज़ को तराशने का भी मौका है. इसके लिए एक भरोसेमंद और बड़ी पारी की ज़रुरत होती है, शुरुआत में. अहमदाबाद में कोहली को डैडी हंड्रेड शायद उसी शुरुआत का गवाह बने.
चलते चलते एक बात और कहना चाहूंगा कि अहमदाबाद में चौथे दिन का खेल ख़त्म होने के बाद जब प्रेस कांफ्रेस के लिए सारे पत्रकार कोहली का इंतज़ार कर रहे थे तो स्थानीय पत्रकारों के बीच हलचल और उत्साह को देखते हुए एक ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार ने इस लेखक से मज़ाकिया अंदाज़ में कहा कि- ऐसा लगता है कि हमें किंग कोहली से सवाल करने का मौका नहीं मिलेगा. इतना ही नहीं, ऑस्ट्रेलियाई टीम के मीडिया मैनेजर ने आनन-फानन में एलेक्स कैरी की प्रेस कांफ्रेस को जल्दबाज़ी में ख़त्म करवाया क्योंकि वो लेजेंड को इंतज़ार नहीं करवाना चाहते थे. उनके इस वाक्य से पूरे प्रेस कांफ्रेंस में ठहाका लगा लेकिन ये बस कुछ सेकंड का ही मामला रहा. क्योंकि तुरंत बीसीसीआई मीडिया मैनेजर ने साफ किया कि कोहली नहीं बल्कि अक्षर पटेल प्रेस वार्ता के लिए आ रहे हैं. बस, सभी ने एक साथ गहरी सांस ली. बस, पूरे दिन कोहली के शतक को देखने के बाद एकमात्र मायूस करने वाला लम्हा यही रहा!
विमल कुमार
न्यूज़18 इंडिया के पूर्व स्पोर्ट्स एडिटर विमल कुमार करीब 2 दशक से खेल पत्रकारिता में हैं. Social media(Twitter,Facebook,Instagram) पर @Vimalwa के तौर पर सक्रिय रहने वाले विमल 4 क्रिकेट वर्ल्ड कप और रियो ओलंपिक्स भी कवर कर चुके हैं.