हाइलाइट्स
केएल राहुल की उपकप्तानी से हुी छुट्टी
टीम इंडिया का नया उपकप्तान कौन होगा?
नई दिल्ली. केएल राहुल की उप कप्तानी छिनने के बाद अब भारतीय क्रिकेट में नई बहस छिड़ी है कि टीम इंडिया का नया उप कप्तान कौन होगा? बीते वक्त में अक्सर उप कप्तानी को लेकर बहुत ज्यादा बहस नहीं होती थी और फोकस हमेशा कप्तान पर ही हुआ करता था. आलम ये होता था कि घरेलू टेस्ट सीरीज के दौरान तो लंबे समय तक उप कप्तान के नाम की औपचारिक घोषणा ही नहीं होती थी. ऐसा सिर्फ विदेशी दौरों पर हुआ करता था क्योंकि अगर कप्तान किसी तरह से अनफिट रहा या मैच में नहीं खेल पाया तो उप कप्तान ये जिम्मेदारी निभा सके.
उप कप्तान बनाने के पीछे भी हमेशा से ही 2 सोच होती रही है. एक दूरगामी और एक तात्कालिक. दूरगामी सोच के मुताबिक, अक्सर उस खिलाड़ी को उप कप्तान बनाया जाता है जो 2-3 सालों में नियमित कप्तान के साथ लीडरशीप की बातें सीख सके, समझ सके. जैसा कि हार्दिक पंड्या के साथ वन-डे क्रिकेट में हो रहा है. टी20 फॉर्मेट में भी उन्हें पहले नियमित उप कप्तानी मिली और फिर कप्तानी. ऋषभ पंत अगर दुर्घटना के चलते क्रिकेट से दूर नहीं रहते तो टेस्ट क्रिकेट में उप कप्तान पर फिलहाल चर्चा भी नहीं होती. क्योंकि पंत में उप कप्तान बनने के सारे गुण थे. उनकी टीम में जगह पक्की थी. वो मैच विनर हैं. वो युवा हैं और रोहित शर्मा के साथ उनका तालमेल भी अच्छा है.
पंत भविष्य के कप्तान भी हो सकते हैं क्योंकि वो आईपीएल में दिल्ली कैपिटल्स को भी लीड करते हैं. दरअसल, उप कप्तानी की पूरी समस्या राहुल के चलते नहीं बल्कि पंत की गैरमौजूदगी की वजह से हुई है.
बहरहाल, अभी ना तो पंत हैं और ना अब राहुल को उप कप्तानी फिर से दी जा सकती है ऐसे में टीम इंडिया में कौन खिलाड़ी उप कप्तानी के विकल्प हैं ? सबसे पहला विकल्प तो शायद चेतेश्वर पुजारा होते जो अब 100 टेस्ट खेलने वाले क्लब में शामिल हो चुके हैं. सीनियर भी हैं और पूर्व में उप कप्तान भी रह चुके हैं. भारत ने दूसरी बार अंजिक्या रहाणे की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीती थी तो पुजारा ही उप कप्तान थे.
ये अलग बात है कि रोहित उस सीरीज के दौरान अनफिट थे और विराट कोहली भी नियमित कप्तान थे. लेकिन, पुजारा ना तो दूरगामी सोच के हिसाब से सही हैं और शायद तात्कालिक सोच के हिसाब से भी नहीं. पुजारा भी हाल के महीनों में अपनी फॉर्म को लेकर जूझे हैं और फिलहाल उनका मुख्य योगदान एक बैटर के तौर पर टीम को स्थिरता देना है.
पुजारा के बाद टीम के सबसे तगड़े विकल्प के तौर पर रविचंद्रन अश्विन का नाम आता है. ये बड़ी हैरानी की बात है कि जिस खिलाड़ी को शायद अब तक भारत की टेस्ट कप्तानी मिल जानी चाहिए थी उसे नियमित तौर पर उप कप्तानी भी नहीं मिली. अश्विन ने आईपीएल में कप्तान के तौर पर ये दिखाया है कि उनकी सोच बिलकुल अलग है. एक गेंदबाज के तौर पर भी उन्होंने कितने मौके पर साबित किया है कि वो एक लाजवाब सोच रखते हैं इस खेल के प्रति. उन्हें युवा खिलाड़ियों का भी सम्मान हासिल हैं और सीनियर्स का भी. वो टीम के लिए ऑलराउंडर हैं और रोहित के साथ उनके रिशते भी शानदार रहे हैं.
हालांकि, अश्विन शायद दूरगामी सोच का हिस्सा नहीं हो सकते लेकिन, जब तक पंत फिट होकर वापस नहीं आते तो अश्विन 1-2 साल तक ये भूमिका निभा भी सकते हैं. अगर जरूरत पड़ी तो अनिल कुंबले की ही तरह 35 साल वाली उम्र में टेस्ट कप्तानी की जिम्मेदारी भी बाखूबी निभा सकते हैं.
अश्विन के साथ सिर्फ एक ही समस्या है. विदेशी जमीं पर जब टीम इंडिया टेस्ट खेलती है तो उनकी जगह प्लेइंग इलेवन में वैसी पक्की नहीं होती जैसे कि रविंद्र जडेजा की होती है. तो क्या यही बात अश्विन के खिलाफ जाती है और उन्हें उप कप्तानी नहीं दी गई है? या फिर फिलहाल उस सोच को बदलने का समय आ चुका है?
अगर अश्विन नहीं तो क्या दूसरे स्पिन ऑलराउंडर जडेजा को उप कप्तान बनाया जा सकता है? ये एक पेचीदा फैसला होगा क्योंकि पिछले साल जब महेंद्र सिंह धोनी ने जडेजा को आईपीएल की कप्तानी दी तो वो उतना प्रभावित नहीं कर सके. अपने पूरे करियर में जडेजा ने सौराष्ट्र के लिए भी कप्तानी नहीं की. दरअसल, जडेजा ने शायद खुद को भी कभी कप्तानी या उप कप्तानी का दावेदार नहीं माना. उनका फोकस खुद को एक बेहतीन ऑलराउंडर के तौर पर टीम इंडिया में स्थापित करने का रहा. उस दौर में टीम इंडिया के पास कप्तानी और उप कप्तानी के ढेर सारे विकल्प थे.
जडेजा के अलावा इस टीम इंडिया में 2 और सीनियर तेज गेंदबाज हैं जो नियमित उप कप्तान का जिम्मा ले सकते हैं. इनमें से एक तो फिलहाल पंत की तरह ही टीम का हिस्सा नहीं है वरना शायद सबकी पहली पंसद होते. जसप्रीत बुमराह पिछले साल इंग्लैंड दौरे पर इकलौते टेस्ट के लिए उप कप्तान थे और जब रोहित आखिरी वक्त में अनफिट हो गए तो उन्होंने ही पहली बार कप्तानी की. बुमराह तो दूरगामी सोच का भी हिस्सा हो सकते हैं लेकिन, फिलहाल तात्कालिक सोच का नहीं हो सकते हैं. फिटनेस की नियमित समस्या के चलते शायद चयनकर्ता और कोच फिर से बुमराह को कप्तानी या उप कप्तानी देने के बारे मे सोचे. हालांकि, काबिलियत के लिहाज से बुमराह में वो गुण हैं.
बुमराह के अलावा अब बचते हैं मोहम्मद शमी, जिन्होंने जडेजा की ही तरह अपने घरेलू राज्य के लिए कभी कप्तानी नहीं की. आईपीएल तो छोड़ ही दें. ऐसे में शमी भी इस रेस से बाहर ही दिखते हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो अश्विन ही फिलहाल ऐसे खिलाड़ी नजर आते हैं जो दूरगामी और तात्कालिक लिहाज से इस अहम भूमिका के लिए फिट बैठते है. क्या यही सोच कोच राहुल द्रविड़ और चयनकर्ताओं की भी हो सकती है? ये कहना फिलहाल मुश्किल है.
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FIRST PUBLISHED : February 22, 2023, 09:42 IST