नई दिल्ली. भाई, गुरु, मार्गदर्शक, मित्र, शिक्षक…. अजीत तेंदुलकर ने सचिन के करियर में एक अहम भूमिका निभाई, लेकिन हमेशा परदे के पीछे रहना ही पसंद किया. सचिन तेंदुलकर को महान दर्जा हासिल नहीं होता अगर यह उनके भाई अजीत उनके लिए खड़े नहीं होते. सचिन तेंदुलकर ने अपने इंटरनेशनल क्रिकेट करियर की शुरुआत 16 साल की उम्र में की थी और फिर अगले 24 सालों तक देश का गौरव बने रहे, लेकिन मास्टर ब्लास्टर को क्रिकेट का ‘भगवान’ बनाने के लिए उनके बड़े भाई अजीत ने त्याग किया है. सचिन तेंदुलकर भी अक्सर अपने भाई के योगदान का जिक्र करते रहे हैं.
सचिन तेंदुलकर के भाई अजीत तेंदुलकर भी क्रिकेट खेलने के शौकीन थे. उन्होंने स्कूल में क्रिकेट खेला और हैरिस शील्ड टूर्नामेंट में भी खेल चुके हैं. एक वक्त ऐसा भी था, जब सचिन तेंदुलकर और अजीत तेंदुलकर दोनों ही क्रिकेट के मैदान पर आमने-सामने थे. सचिन तेंदुलकर ने खुद ही किस्से का जिक्र एक इंटरव्यू के दौरान किया था. सचिन तेंदुलकर ने इस बात का जिक्र कभी किसी से नहीं किया था.
पृथ्वी शॉ ने शेयर किया अजीब पोस्ट, लिखा- ‘वफादारी वहीं खत्म हो जाती है…’, फैन्स हुए कंफ्यूज
जब आमने-सामने थे सचिन और अजीत
उन्होंने एमआईजी क्लब से जुड़ी अपनी खास याद के बारे में बात करते हुए कहा था, ”मैंने इसके बारे में कभी नहीं बोला, यह पहली बार होगा जब मैं इसके बारे में बात कर रहा हूं. कई साल पहले की बात है, मुझे यह भी याद नहीं है कि मैंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला था या नहीं, या रणजी ट्रॉफी भी, लेकिन मैं अच्छा कर रहा था. मुझे पता था कि मेरा ग्राफ धीरे-धीरे ऊपर जा रहा था. उस समय एमआईजी में सिंगल विकेट का टूर्नामेंट हुआ करता था. उस टूर्नामेंट में मैं खेल रहा था और मेरे साथ अजीत भी खेल रहे थे. हम दोनों अलग-अलग पूल में थे और दोनों अपने-अपने पूल में आगे बढ़ रहे थे.”
एकमात्र मैच, जिसमें सचिन और अजीत एक-दूसरे के खिलाफ खेले
सचिन तेंदुलकर ने कहा था कि शायद यही एकमात्र मैच था, जब वह अजीत के खिलाफ खेले थे और दोनों ही इसे जीतना नहीं चाहते थे. आखिरकार सेमीफाइनल में हम एक दूसरे से मिले. मुझे लगता है कि यही एकमात्र मौका है, जब हम एक दूसरे के खिलाफ खेले हैं. हमने बंगाल क्रिकेट क्लब में एक साथ एक और मैच खेला है, लेकिन यह एक दूसरे के खिलाफ था.

सचिन तेंदुलकर के भाई-बहन, अजीत, नितिन और सविता (Sachin Tendulkar/Instagram)
बड़े भाई के खिलाफ नहीं जीतना थे सचिन तेंदुलकर
सचिन तेंदुलकर ने कहा, ”मैं कुछ हद तक गेंदबाज की हाव-भाव को भांपना जानता था और मैं यह पता लगा सकता था कि वह (अजीत) वह मैच नहीं जीतना चाहते थे और मैं भी. हम एक-दूसरे को हराना नहीं चाहते थे. और मैंने बल्लेबाजी शुरू की और जिस तरह से उन्होंने (अजीत) नो बॉल और वाइड बॉल शुरू की (जानबूझकर गेंदबाजी की) और जिस तरह से मैंने जानबूझकर रक्षात्मक खेलकर जवाब दिया और सिंगल विकेट टूर्नामेंट में कोई डिफेंड नहीं करता.”
भाई ने दिखाई आंखें और सचिन को माननी पड़ी बात
मास्टर ब्लास्टर ने आगे कहा, ”अजीत ने मेरी तरफ देखकर ढंग से बल्लेबाजी का इशारा किया. आपको अपने बड़े भाई की बात माननी पड़ती है. तो मुझे वह करना पड़ा. लेकिन मैं नहीं जीता, वह खेल हार गए. हम दोनों एक ही परिणाम चाहते थे, लेकिन दुर्भाग्य से यह मेरे पक्ष में गया और मैं फाइनल (टूर्नामेंट के) में पहुंच गया.”
अजीत ने 11 साल की उम्र में पहचाना था सचिन का टैलेंट
ऐसा नहीं है कि सचिन तेंदुलकर के सीनियर क्रिकेटर बनने के बाद अजीत ने उनके खेल पर नजर रखना छोड़ दिया. वह हमेशा अपने भाई के साथ कॉल के माध्यम से संपर्क में रहता था, भले ही भारत विदेश दौरे पर हो. वह उनसे उनके फुटवर्क, बल्लेबाजी के रुख के बारे में बात करते थे और तेंदुलकर के खेल में सुधार के लिए हर संभव प्रयास करते थे. सचिन जब 11 साल के थे, तब उनके बड़े भाई अजीत ने उनके अंदर छिपे क्रिकेट के टैलेंट को पहचान लिया था. इसके बाद वह सबकुछ छोड़कर सचिन को क्रिकेटर बनाने में जुट गए थे. अजीत ही वह व्यक्ति थे, जो तेंदुलकर को प्रसिद्ध कोच रमाकांत आचरेकर के पास ले गए थे और जैसा कि वे कहते हैं, बाकी इतिहास है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Former Indian Cricketer, Sachin tendulkar
FIRST PUBLISHED : March 10, 2023, 14:11 IST